Low Rank MBBS Colleges : NEET परीक्षा हर साल लाखों छात्रों के लिए एक बड़ा लक्ष्य होता है। लेकिन जब परीक्षा के बाद रैंक उम्मीद से कम आती है, तो कई छात्रों को निराशा घेर लेती है। ऐसा नहीं होना चाहिए। कम रैंक का मतलब यह नहीं है कि MBBS का सपना अब खत्म हो गया है। सही जानकारी और रणनीति अपनाकर आप अब भी डॉक्टर बनने का सपना साकार कर सकते हैं। इस लेख में हम आपको 10 ऐसे विकल्प बताएंगे जो कम रैंक वालों के लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं।
1. स्टेट कोटा को प्राथमिकता दें
NEET की ऑल इंडिया कोटा (AIQ) के तहत सिर्फ 15% सीटें आती हैं, जबकि 85% सीटें स्टेट कोटा के तहत होती हैं। राज्य कोटा की कटऑफ आमतौर पर AIQ से कम होती है। यदि आपने अपने राज्य में डोमिसाइल सर्टिफिकेट लिया है, तो स्टेट कोटा के तहत आपको MBBS की सीट मिलने की संभावना अधिक होती है। इसलिए, अपने राज्य की काउंसलिंग प्रक्रिया और कटऑफ को अच्छी तरह से समझें और उसके अनुसार आवेदन करें।
2. नॉर्थ-ईस्ट राज्यों की काउंसलिंग पर ध्यान दें
अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम जैसे नॉर्थ-ईस्ट राज्यों में MBBS की सीटें अक्सर खाली रह जाती हैं क्योंकि वहां से कम छात्र आवेदन करते हैं। कई बार इन राज्यों की काउंसलिंग में ऑल इंडिया ओपन सीटों पर कम रैंक वालों को भी एडमिशन मिल जाता है। यदि आप इन राज्यों की काउंसलिंग प्रक्रिया पर नजर रखते हैं, तो आपके लिए यह सुनहरा अवसर हो सकता है।
3. डिम्ड यूनिवर्सिटी में एडमिशन लें
भारत में कई डिम्ड यूनिवर्सिटीज हैं जैसे कि DY Patil, SRM, Manipal आदि, जो NEET स्कोर के आधार पर MBBS में दाखिला देती हैं। इन यूनिवर्सिटीज की कटऑफ अपेक्षाकृत कम होती है। हालांकि, इनकी फीस सरकारी कॉलेजों की तुलना में अधिक होती है। यदि आप खर्च वहन कर सकते हैं, तो यह एक मजबूत विकल्प हो सकता है।
4. प्राइवेट कॉलेजों में मैनेजमेंट कोटा
कई प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में मैनेजमेंट कोटा होता है जिसमें सीट पाने के लिए रैंक की आवश्यकता बहुत अधिक नहीं होती। हालांकि, इन सीटों की फीस भी अधिक होती है। यदि आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत है और आप MBBS करना चाहते हैं, तो यह विकल्प आपके लिए उपयोगी हो सकता है।
5. NRI कोटा का उपयोग करें
कुछ कॉलेजों में NRI कोटा सीट्स उपलब्ध होती हैं, जिन पर भारतीय मूल के वे छात्र भी आवेदन कर सकते हैं जिनका NRI कनेक्शन है। इन सीटों पर रैंक की अधिक चिंता नहीं होती लेकिन फीस काफी अधिक होती है। यदि आपके परिवार में कोई NRI सदस्य है, तो आप इस कोटे का लाभ उठा सकते हैं।
6. NEET रीपीट करें
यदि आपकी रैंक बहुत अधिक है और सरकारी या प्राइवेट किसी भी कॉलेज में सीट मिलना मुश्किल है, तो आप एक साल की ड्रॉप लेकर अगली बार फिर से तैयारी कर सकते हैं। कई छात्र दोबारा प्रयास में 600+ स्कोर करके टॉप मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश लेते हैं। सही मार्गदर्शन और मेहनत से यह संभव है।
7. मॉप-अप राउंड को न छोड़ें
नीट काउंसलिंग का आखिरी चरण, जिसे मॉप-अप राउंड कहा जाता है, उसमें अक्सर कुछ सीटें खाली रह जाती हैं। कई बार इस दौर में कटऑफ काफी गिर जाता है और कम रैंक वालों को भी सीट मिल जाती है। इसलिए अंतिम राउंड तक काउंसलिंग में भाग जरूर लें।
8. BAMS, BHMS, BPT जैसे वैकल्पिक कोर्स
यदि MBBS का एडमिशन संभव न हो, तो BAMS (आयुर्वेद), BHMS (होम्योपैथी), BPT (फिजियोथेरेपी) जैसे कोर्स भी करियर के अच्छे विकल्प हैं। इन कोर्सों से आप मेडिकल फील्ड में ही अपना करियर बना सकते हैं और आगे चलकर स्पेशलाइजेशन भी कर सकते हैं।
9. एजुकेशनल कंसल्टेंसी की मदद लें
कई बार छात्रों को काउंसलिंग प्रक्रिया, कॉलेज चयन और दस्तावेज़ीकरण जैसी बातों में मुश्किल होती है। ऐसे में किसी विश्वसनीय एजुकेशनल कंसल्टेंसी से सहायता ली जा सकती है। वे आपकी प्रोफाइल के अनुसार कॉलेज सर्च करने और एडमिशन की प्रक्रिया पूरी कराने में मदद करते हैं।
10. नेपाल या बांग्लादेश के मेडिकल कॉलेज
भारत के कुछ छात्र नेपाल या बांग्लादेश के मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लेते हैं। वहां NEET स्कोर जरूरी होता है लेकिन कटऑफ अपेक्षाकृत कम होती है। इन देशों के कुछ कॉलेजों को भारत के नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) की मान्यता प्राप्त होती है। पढ़ाई पूरी करने के बाद FMGE परीक्षा पास करके आप भारत में प्रैक्टिस कर सकते हैं।
निष्कर्ष
NEET में कम रैंक आने का मतलब यह नहीं कि डॉक्टर बनने का सपना अधूरा रह जाएगा। जरूरी है कि आप सही जानकारी जुटाएं, धैर्य रखें और सही समय पर सही निर्णय लें। ऊपर बताए गए विकल्पों पर विचार करें और अपनी परिस्थिति के अनुसार सबसे उपयुक्त रास्ता चुनें। सही दिशा में किया गया प्रयास आपको सफलता की ओर जरूर ले जाएगा।