UPPCS Topper 2025 : उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक सेवा में कार्यरत एसडीएम सदर मुजफ्फरनगर, निकिता शर्मा एक बार फिर विवादों में आ गई हैं। 2018 में यूपीपीसीएस (UPPCS) परीक्षा में 36वीं रैंक लाकर सुर्खियों में आईं निकिता शर्मा पर राज्य सरकार के ही एक कैबिनेट मंत्री ने गंभीर आरोप लगाए हैं। यूपी के लोक निर्माण मंत्री अनिल कुमार ने उनपर गैरकानूनी प्लॉटिंग को बढ़ावा देने और जमीन माफियाओं के साथ मिलकर काम करने का आरोप लगाया है। यह मामला योगी सरकार की भ्रष्टाचार मुक्त शासन नीति के खिलाफ माना जा रहा है, जिससे पूरे प्रशासनिक महकमे में हलचल मची हुई है।
आरोपों का विवरण
लोक निर्माण मंत्री अनिल कुमार का आरोप है कि एसडीएम निकिता शर्मा ने गैरकानूनी प्लॉटिंग को बढ़ावा देकर जमीन माफियाओं को संरक्षण दिया है। इस गंभीर आरोप के बाद राज्य सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए जिला अधिकारी उमेश मिश्रा को इस मामले की औपचारिक जांच के आदेश दिए हैं। जांच फिलहाल जिला स्तर पर जारी है और जल्द ही इसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपे जाने की संभावना है।
निकिता शर्मा का खंडन
जब इस मामले पर एसडीएम निकिता शर्मा से बात की गई तो उन्होंने आरोपों को पूरी तरह से नकार दिया। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्हें न तो कोई आधिकारिक शिकायत मिली है और न ही किसी ने उनसे संपर्क किया है। उनका कहना था कि ये आरोप पूरी तरह राजनीतिक साजिशों पर आधारित हैं और जनवरी से ही उनके खिलाफ बिना किसी ठोस सबूत के अफवाहें फैलाई जा रही हैं। उन्होंने साफ कहा कि वे भ्रष्टाचार या किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल नहीं हैं।
एसडीएम निकिता शर्मा कौन हैं?
निकिता शर्मा का जन्म हरियाणा में 31 मार्च 1995 को हुआ। वे बचपन से ही पढ़ाई में तेज थीं और 2016 में अपने ग्रेजुएशन के अंतिम वर्ष में ही सिविल सेवा की तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से फिजिक्स ऑनर्स की डिग्री हासिल की और वहीं से बीएड भी किया।
2018 में उत्तर प्रदेश संघ लोक सेवा आयोग (UPPCS) की परीक्षा में 36वीं रैंक लेकर उन्होंने एसडीएम का पद प्राप्त किया। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद वे सरकारी सेवा में शामिल हुईं। जुलाई 2023 में उनका तबादला मुजफ्फरनगर सदर एसडीएम के पद पर हुआ, जहां वे अभी कार्यरत हैं।
विवादों से रहा जुड़ाव
निकिता शर्मा की विवादित छवि नई नहीं है। मई 2025 में उन्होंने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जों को हटाने के लिए बुलडोजर चलवाया था, जिससे काफी चर्चा हुई। इस कार्रवाई को कुछ लोगों ने प्रशंसा दी तो कुछ वर्गों ने आलोचना भी की। इसके पहले समाजवादी पार्टी के सांसद हरेंद्र मलिक ने भी निकिता शर्मा पर जनता की शिकायतों को अनसुना करने का आरोप लगाया था। उनका यह आरोप सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था और इससे प्रशासनिक जवाबदेही पर सवाल उठे थे।
निष्कर्ष
निकिता शर्मा के ऊपर लगे आरोप एक बार फिर प्रशासनिक पारदर्शिता और ईमानदारी की परीक्षा हैं। जबकि सरकार जांच प्रक्रिया में है, विवादों के बीच निकिता शर्मा ने अपने ऊपर लगे आरोपों को पूरी तरह से खारिज किया है और इसे राजनीतिक साजिश बताया है।
यह मामला यह भी दिखाता है कि सरकारी अधिकारियों को जनता और राजनीति दोनों के दबाव का सामना करना पड़ता है। भ्रष्टाचार मुक्त शासन और सरकारी कार्यशैली की जिम्मेदारी अधिकारियों पर है, पर ऐसे आरोप और विवाद उनकी छवि को प्रभावित करते हैं।
अभी जांच पूरी नहीं हुई है, इसलिए दोषी या निर्दोष के बारे में कोई निश्चित निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता। उम्मीद है कि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से होगी और तथ्य सामने आएंगे। साथ ही, प्रशासनिक कार्यों में सुधार के लिए भी यह मामला एक सबक साबित हो सकता है।