अब 80 नहीं, 65 साल की उम्र से ही मिलेगी बढ़ी हुई पेंशन, जानें नई गाइडलाइन और पात्रता Increased Pension 2025

By Shruti Singh

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Increased Pension 2025

Increased Pension 2025 : देशभर में लाखों पेंशनभोगी अपने बुढ़ापे में आर्थिक तंगी और स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या उन्हें अपनी पेंशन में बढ़ोतरी के लिए 80 वर्ष की उम्र तक इंतजार करना पड़ेगा? मौजूदा पेंशन व्यवस्था में यही नियम लागू है, लेकिन अब इसके खिलाफ आवाजें तेज़ हो रही हैं। रिटायर्ड कर्मचारियों और वरिष्ठ नागरिक संगठनों की ओर से यह मांग की जा रही है कि पेंशन में बढ़ोतरी की प्रक्रिया 65 वर्ष की आयु से ही शुरू होनी चाहिए।

मौजूदा पेंशन व्यवस्था में क्या है खामी?

वर्तमान में अधिकांश सरकारी व अर्ध-सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद एक तय पेंशन राशि मिलती है। लेकिन इसमें एक व्यवस्था यह भी है कि जब पेंशनभोगी 80 साल की उम्र पूरी करता है, तभी उसे कुछ अतिरिक्त राशि का लाभ दिया जाता है। समस्या यह है कि बहुत सारे लोग इतनी उम्र तक जीवित ही नहीं रहते या अगर जीवित रहते हैं तो स्वास्थ्य और आर्थिक चुनौतियों से बुरी तरह जूझ रहे होते हैं।

यही कारण है कि यह व्यवस्था न सिर्फ अव्यवहारिक मानी जा रही है, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी अनुचित है।

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65 साल से पेंशन बढ़ाने की मांग

पेंशनर्स एसोसिएशन और कई रिटायर्ड कर्मचारी संगठनों ने यह सुझाव दिया है कि अतिरिक्त पेंशन की शुरुआत 65 वर्ष की आयु से की जाए। उनके अनुसार, यदि सरकार यह नई व्यवस्था लागू करती है कि:

तो यह वरिष्ठ नागरिकों को समय पर आर्थिक राहत दे सकती है। यह मॉडल न केवल व्यवहारिक है बल्कि इससे लाखों बुजुर्गों को जीवन के कठिन पड़ाव पर आवश्यक सहायता मिल सकती है।

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बढ़ती उम्र के साथ आर्थिक बोझ

बुजुर्गों के सामने सबसे बड़ी चुनौती स्वास्थ्य से जुड़ी होती है। उम्र बढ़ने के साथ ही दवाइयों पर खर्च, अस्पताल में जांच व इलाज, और विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। इन सबके लिए जरूरी है कि उनकी आय में समय-समय पर बढ़ोतरी हो।

इसके अलावा, लगातार बढ़ती महंगाई भी पेंशन की क्रय शक्ति को प्रभावित करती है। जिस राशि से पहले पूरा महीना चलता था, अब वही राशि दो हफ्तों में ही खत्म हो जाती है। ऐसे में बढ़ी हुई पेंशन न सिर्फ राहत देगी, बल्कि उनकी गरिमा को बनाए रखने में भी मदद करेगी।

बुजुर्गों का सम्मान जरूरी

भारत की संस्कृति में बुजुर्गों का सम्मान एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। ये वे लोग हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन देश की सेवा में लगाया, चाहे वह सरकारी नौकरी हो, शिक्षा, प्रशासन या सुरक्षा सेवाएं। आज अगर वे जीवन के अंतिम पड़ाव पर पहुंचकर आर्थिक और मानसिक तनाव झेल रहे हैं, तो यह समाज और सरकार दोनों की विफलता मानी जाएगी।

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पेंशन सिर्फ आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि बुजुर्गों के योगदान को मान्यता देने का एक तरीका भी है।

सरकार से क्या उम्मीद है?

अब वक्त आ गया है कि सरकार पेंशन की मौजूदा नीति पर पुनर्विचार करे। कई राज्यों में इस दिशा में विचार-विमर्श शुरू हो चुका है, लेकिन अभी भी एक केंद्रीय और प्रभावी नीति की आवश्यकता है। यदि केंद्र सरकार इस पर संवेदनशील निर्णय लेती है तो यह लाखों पेंशनभोगियों के जीवन को नई राहत देगा।

सरकार की जिम्मेदारी है कि वह ऐसे निर्णय ले जो सामाजिक न्याय, आर्थिक सुरक्षा और संवेदनशील प्रशासन की मिसाल बन सकें।

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निष्कर्ष

बढ़ती उम्र के साथ बढ़ती जरूरतों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यदि पेंशन में बढ़ोतरी की शुरुआत 80 की बजाय 65 वर्ष से की जाए, तो यह एक सकारात्मक और मानवीय कदम होगा। यह बदलाव न केवल बुजुर्गों की जिंदगी को आसान बनाएगा, बल्कि हमारे समाज को और अधिक संवेदनशील और न्यायसंगत भी बनाएगा।

अब समय आ गया है कि पेंशन एक स्थायी सुरक्षा व्यवस्था बनने के साथ-साथ एक गरिमामय बुढ़ापे की गारंटी भी बने।

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Shruti Singh

Shruti Singh is a skilled writer and editor at a leading news platform, known for her sharp analysis and crisp reporting on government schemes, current affairs, technology, and the automobile sector. Her clear storytelling and impactful insights have earned her a loyal readership and a respected place in modern journalism.

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