Gold Price Today : भारत के सर्राफा बाजार में आज इतिहास रच गया। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर 24 कैरेट शुद्ध सोने की कीमत पहली बार ₹1,00,000 प्रति 10 ग्राम के पार चली गई है। यह रिकॉर्ड स्तर सिर्फ 74 दिनों में हासिल हुआ, जो अब तक की सबसे तेज़ कीमत वृद्धि मानी जा रही है। 2025 का यह दौर सिर्फ रिटर्न्स का नहीं, बल्कि यह भी दर्शाता है कि जब वैश्विक हालात अस्थिर होते हैं, तो सोना ही सबसे भरोसेमंद संपत्ति के रूप में उभरता है।
आखिर इतनी तेज़ी क्यों आई?
2025 में सोने की कीमतों में इस ऐतिहासिक उछाल के पीछे कई बड़े कारण हैं। आइए जानते हैं वो 5 मुख्य वजहें जिन्होंने सोने को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया:
1. भूराजनीतिक तनाव (Geopolitical Tensions)
वर्तमान समय में दुनिया के कई हिस्सों में युद्ध और तनाव की स्थिति है।
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इज़राइल और ईरान के बीच लगातार बढ़ती तनातनी ने बाजार को अस्थिर किया है।
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रूस और यूक्रेन का युद्ध अभी भी जारी है, जिससे वैश्विक निवेशकों में चिंता बनी हुई है।
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अमेरिका और चीन के बीच व्यापार शुल्क (टैरिफ) को लेकर टकराव का माहौल है।
इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि उन्होंने ईरान की नतांज यूरेनियम साइट, मिसाइल कार्यक्रम और वैज्ञानिक ठिकानों पर हमला किया है और ये कार्रवाई तब तक जारी रहेगी जब तक खतरा समाप्त नहीं होता। ऐसे माहौल में निवेशक ‘सेफ हेवन’ यानी सुरक्षित निवेश विकल्प के रूप में सोने को चुन रहे हैं।
2. सेंट्रल बैंकों की सोने में खरीद
पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक केंद्रीय बैंकों ने अपने भंडार में डॉलर की बजाय सोना जोड़ना शुरू किया है।
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भारत, चीन और रूस जैसे देशों ने अपने गोल्ड रिजर्व में बड़ी बढ़ोतरी की है।
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इससे सोने की मांग में भारी इजाफा हुआ और कीमतों पर असर पड़ा।
3. आर्थिक मंदी की आशंका
वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती के संकेत मिल रहे हैं।
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अमेरिका सहित कई बड़े देशों का GDP डेटा कमजोर आया है।
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फेडरल रिजर्व पर ब्याज दरों में कटौती का दबाव बढ़ रहा है।
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ऐसे समय में सोना निवेशकों के लिए सुरक्षा की गारंटी बन गया है।
4. डी-डॉलराइजेशन की प्रक्रिया
अब कई देश वैश्विक व्यापार और रिजर्व के लिए डॉलर की जगह सोने को तरजीह देने लगे हैं।
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डॉलर पर निर्भरता कम करने की इस वैश्विक प्रवृत्ति ने सोने को एक अहम विकल्प बना दिया है।
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इस ट्रेंड से भी सोने की मांग और कीमतों में तेजी आई है।
5. ETF और निवेश मांग में बढ़ोतरी
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गोल्ड ETF यानी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स में रिकॉर्ड निवेश दर्ज किया गया है।
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फिजिकल (भौतिक) गोल्ड और डिजिटल गोल्ड दोनों में खरीदारों की संख्या में तेज़ी आई है।
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इसका असर सीधे-सीधे कीमतों पर पड़ा है।
आगे क्या हो सकता है?
केडिया कमोडिटी के अजय केडिया का कहना है कि अगर सोना ₹1,00,000 के स्तर पर मजबूती से टिकता है, तो आने वाले दिनों में ₹1,03,000 और ₹1,07,000 तक के नए लक्ष्य देखे जा सकते हैं। यह तेजी बनी रह सकती है, खासकर अगर वैश्विक तनाव और आर्थिक अनिश्चितता बनी रहती है।
निवेशकों के लिए जरूरी सलाह
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SIP की तरह करें निवेश: हर गिरावट पर थोड़ा-थोड़ा करके गोल्ड ETF में निवेश करें।
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पोर्टफोलियो में संतुलन बनाए रखें: अपने निवेश पोर्टफोलियो में सोने का हिस्सा 10% से 15% तक रखें।
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लंबी अवधि का दृष्टिकोण रखें: सोना अल्पकालिक मुनाफे से ज्यादा दीर्घकालिक स्थिरता और सुरक्षा देता है।
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डिजिटल गोल्ड का भी विकल्प चुनें: डिजिटल सोना खरीदना अब पहले से आसान और सुरक्षित हो चुका है।
निष्कर्ष
2025 में सोने की कीमतों ने जो ऐतिहासिक उछाल दर्ज किया है, वह निवेशकों के लिए न सिर्फ एक नया मील का पत्थर है, बल्कि यह इस बात का भी संकेत है कि वैश्विक अनिश्चितता के समय में सोना अब भी सबसे सुरक्षित निवेश विकल्प बना हुआ है। चाहे युद्ध की आहट हो, मंदी की आशंका हो या डॉलर से दूर जाने की होड़ – सोना हर मोर्चे पर चमका है।
अब सवाल यह है कि क्या यह तेजी आगे भी जारी रहेगी? अगर वैश्विक परिस्थितियां ऐसे ही बनी रहीं, तो सोना अगले कुछ महीनों में और नई ऊंचाइयां छू सकता है।