Bihar Flood Alert : पिछले कुछ दिनों से नेपाल और झारखंड में लगातार हो रही भारी बारिश ने बिहार के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। राज्य की प्रमुख नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है और कई जिलों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। खासकर उत्तर और दक्षिण बिहार की नदियों में उफान की स्थिति पैदा हो चुकी है, जिससे प्रशासन और स्थानीय जनता की चिंता बढ़ गई है।
नेपाल और झारखंड में भारी बारिश बनी वजह
बीते 48 घंटे से नेपाल और झारखंड में तेज और लगातार बारिश हो रही है। इसका सीधा असर बिहार की नदियों पर देखने को मिल रहा है। नेपाल में हो रही बारिश से उत्तर बिहार की नदियां जैसे गंडक, कमला बलान और कोसी में पानी का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। वहीं, झारखंड की ओर हो रही बारिश से दक्षिण बिहार की नदियां जैसे फल्गू, पुनपुन, मोरहर, उत्तर कोयल और सकरी-पंचाने नदी भी उफान पर आ गई हैं।
खतरे के निशान को पार कर गई कई नदियां
गुरुवार की रात गंडक और कमला बलान नदी ने चेतावनी स्तर को पार कर लिया। उधर, नेपाल के वीरपुर में कोसी नदी पहले ही लाल निशान के पार पहुंच चुकी है। बीते 24 घंटे में इन नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे बाढ़ की आशंका गहराने लगी है।
फल्गू और पुनपुन जैसी नदियां जो सामान्यतः शांत रहती हैं, अब उनका प्रवाह भी तेजी से बढ़ रहा है। दक्षिण बिहार की नदियों का जलग्रहण क्षेत्र झारखंड में पड़ता है, और वहां हुई भारी बारिश से इन नदियों में जलस्तर में असामान्य वृद्धि हो रही है।
मोहम्मदगंज बराज पर रिकॉर्ड जलस्राव
उत्तर कोयल नदी के मोहम्मदगंज बराज पर बीती रात 2.14 लाख क्यूसेक पानी जमा हो गया। यह आंकड़ा सामान्यतः अगस्त या सितंबर में देखने को मिलता है, लेकिन इस बार जून में ही इतनी भारी जलधारा आ गई है। यह अपने आप में एक चिंता का विषय है, क्योंकि अब बाढ़ का खतरा समय से पहले दस्तक देने लगा है।
वर्ष 2023 की तुलना में इस साल जलस्तर में भारी अंतर देखा जा रहा है। पिछले साल इसी समय मोहम्मदगंज बराज लगभग सूखा हुआ था और उसमें कोई खास प्रवाह नहीं था। वहीं, 2024 में अभी से बराज पर 2 लाख से अधिक क्यूसेक पानी आ चुका है, जो अपने आप में एक संकेत है कि इस बार बाढ़ पहले और ज्यादा तीव्र हो सकती है।
किन जिलों पर मंडरा रहा है सबसे ज्यादा खतरा?
उत्तर बिहार के जिलों में सीतामढ़ी, मधुबनी, दरभंगा, सुपौल और सहरसा पहले से ही कोसी, गंडक और कमला बलान जैसी नदियों के उफान से प्रभावित होते रहे हैं। इन जिलों में कई जगहों पर बाढ़ की चेतावनी जारी कर दी गई है।
दक्षिण बिहार के जिलों जैसे गया, औरंगाबाद, जहानाबाद, नवादा और रोहतास में भी खतरे के संकेत मिलने लगे हैं। यहां फल्गू, मोरहर और पुनपुन जैसी नदियां बहती हैं, जिनका जलग्रहण क्षेत्र झारखंड के वर्षा प्रभावित क्षेत्रों में है।
प्रशासन और आम जनता के लिए चेतावनी का समय
मौसम विभाग और जल संसाधन विभाग ने नदियों के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए सतर्कता बरतने की सलाह दी है। प्रशासन को चाहिए कि संवेदनशील इलाकों में तटबंधों की निगरानी, नावों की व्यवस्था, राहत केंद्रों की स्थापना और लोगों को समय पर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की योजना पहले से बना ले।
जनता से भी अपील की गई है कि नदी किनारे जाने से बचें, अफवाहों पर ध्यान न दें और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करें।
जलवायु परिवर्तन का असर?
हर साल समय से पहले बाढ़, असामान्य वर्षा और नदियों का बदलता व्यवहार यह संकेत दे रहा है कि जलवायु परिवर्तन का असर अब साफ तौर पर दिखने लगा है। जून महीने में इतनी तेज बारिश और नदियों का खतरे के निशान के ऊपर बहना सामान्य स्थिति नहीं है। इससे निपटने के लिए दीर्घकालिक रणनीति बनाना जरूरी हो गया है।
निष्कर्ष
नेपाल और झारखंड में हो रही भारी बारिश के कारण बिहार के सामने एक बार फिर बाढ़ की चुनौती खड़ी हो गई है। अगर समय रहते जरूरी कदम नहीं उठाए गए, तो स्थिति गंभीर हो सकती है। ऐसे समय में सतर्कता और तैयारी ही सबसे बड़ा हथियार है। आम जनता और प्रशासन दोनों को मिलकर इस प्राकृतिक आपदा का सामना करना होगा।