IAS Success Story : बिहार के सीमांत जिले किशनगंज से ताल्लुक रखने वाले अनिल बसाक की कहानी आज लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी है। बेहद साधारण परिवार में जन्मे अनिल ने अपने कठिन संघर्ष और अटूट मेहनत के बलबूते न केवल शिक्षा की ऊँचाइयों को छुआ, बल्कि देश की सबसे कठिन मानी जाने वाली परीक्षा UPSC को पास कर आईएएस अधिकारी भी बने। उनकी सफलता यह दर्शाती है कि अगर इरादे मजबूत हों और मेहनत सच्ची हो, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं।
बचपन में संघर्ष, लेकिन कभी हार नहीं मानी
अनिल बसाक का बचपन बेहद कठिनाइयों भरा रहा। उनके पिता विनोद बसाक सड़क किनारे ठेला लगाकर कपड़े बेचते थे और कभी-कभी घरों में काम करके परिवार का पेट पालते थे। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, लेकिन अनिल ने इन हालातों को कभी अपनी पढ़ाई के आड़े नहीं आने दिया। वे शुरू से ही पढ़ाई में बहुत अच्छे थे और उनका सपना था कुछ बड़ा करना, ताकि परिवार को गरीबी से निकाल सकें।
शिक्षा में निरंतर उत्कृष्टता
गरीबी के बावजूद अनिल ने अपनी पढ़ाई में कोई समझौता नहीं किया। वे हमेशा क्लास में अव्वल रहे। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें देश के प्रतिष्ठित संस्थान IIT दिल्ली तक पहुंचाया, जहां उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। अनिल बताते हैं, “मेरे पिता ने दिन-रात मेहनत की ताकि मैं अच्छे से पढ़ सकूं। मैं हमेशा महसूस करता था कि उनके त्याग को व्यर्थ नहीं जाने देना है।”
UPSC की तैयारी और असफलता से सफलता तक का सफर
अनिल ने UPSC सिविल सेवा परीक्षा देने का सपना देखा और 2018 में पहली बार परीक्षा दी। लेकिन इस प्रयास में वे प्रारंभिक परीक्षा भी पास नहीं कर सके। वे स्वीकार करते हैं कि उस समय उनमें आत्ममुग्धता ज्यादा थी, आत्मविश्वास कम। लेकिन इस असफलता ने उन्हें और मजबूत बना दिया।
दूसरे प्रयास में उन्होंने एक ठोस रणनीति बनाई और 2019 में भारतीय राजस्व सेवा (IRS) में चयनित हुए। इस बार उन्हें ऑल इंडिया रैंक 616 मिली। लेकिन उनका सपना IAS बनना था, इसलिए उन्होंने हार नहीं मानी। तीसरे प्रयास में 2020 में उन्होंने पूरे आत्मविश्वास और तैयारी के साथ परीक्षा दी और शानदार सफलता हासिल की। उन्हें ऑल इंडिया रैंक 45 मिली और वे IAS अधिकारी बने।
परिवार, शिक्षक और समाज की भूमिका
अनिल हमेशा अपने माता-पिता, शिक्षकों और मार्गदर्शकों का धन्यवाद करते हैं। वे मानते हैं कि अगर परिवार का साथ, सही मार्गदर्शन और खुद की मेहनत हो, तो कोई भी युवा किसी भी ऊंचाई तक पहुंच सकता है। उनका सफर इस बात का प्रमाण है कि संसाधन सीमित हों, तो भी इच्छाशक्ति और समर्पण से हर सपना पूरा किया जा सकता है।
मधेपुरा में मिली बड़ी जिम्मेदारी
मई 2025 में बिहार सरकार ने अनिल बसाक को मधेपुरा जिले का उप विकास आयुक्त (DDC) और जिला परिषद के CEO के पद पर नियुक्त किया। यह पद विधानसभा चुनाव से ठीक पहले काफी अहम माना गया। इस भूमिका में अनिल अब जिले में विकास योजनाओं की निगरानी, सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन और चुनावी प्रक्रिया को सुचारु रूप से संचालित करने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। उनकी इस नियुक्ति को समाज में सकारात्मक प्रशासनिक बदलाव की उम्मीद के रूप में देखा जा रहा है।
समाज को एक सीख
अनिल बसाक की कहानी केवल एक सफल UPSC उम्मीदवार की नहीं, बल्कि एक ऐसे युवा की कहानी है जिसने संघर्ष को अपनी ताकत बनाया। यह कहानी उन लाखों युवाओं को एक रास्ता दिखाती है जो सीमित संसाधनों में भी बड़े सपने देख रहे हैं। यह समाज को यह भी सिखाती है कि अगर हर ‘अनिल’ को सही समय पर अवसर और समर्थन मिले, तो वे समाज और देश के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं।
निष्कर्ष
अनिल बसाक की सफलता यह साबित करती है कि मेहनत, लगन और आत्मविश्वास के साथ किसी भी परिस्थिति को बदला जा सकता है। उनकी कहानी हर उस युवा को हौसला देती है जो कठिन परिस्थितियों में भी हार नहीं मानते। आज अनिल न केवल एक सफल आईएएस अधिकारी हैं, बल्कि एक रोल मॉडल भी बन चुके हैं, खासकर बिहार और देश के ग्रामीण इलाकों के युवाओं के लिए। उनकी सफलता हमें यह भी याद दिलाती है कि शिक्षा, परिवार का सहयोग और समाज की सकारात्मक भूमिका किसी भी युवा को उसकी मंजिल तक पहुंचा सकती है।