दिल्ली-NCR में फर्जी डिग्री रैकेट का पर्दाफाश, ₹2 लाख में MBA और ₹20 लाख में MBBS डिग्री Delhi NCR Fake Degree

By Shruti Singh

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Delhi NCR Fake Degree

Delhi NCR Fake Degree : दिल्ली-एनसीआर में शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी एक बड़ी धोखाधड़ी का पर्दाफाश हुआ है। क्राइम ब्रांच ने एक ऐसे संगठित गिरोह का खुलासा किया है जो बीए, बीएससी, एमबीए, पीएचडी, एलएलबी, बीएएमएस और बीफार्मा जैसे एक दर्जन से अधिक कोर्सों की फर्जी डिग्रियां बनाकर दो लाख से बीस लाख रुपये तक की कीमत पर बेचता था।

इस गिरोह की जड़ें दिल्ली के साथ-साथ उत्तर भारत के कई विश्वविद्यालयों तक फैली हुई थीं, और अब तक यह 5000 से अधिक फर्जी प्रमाणपत्र जारी कर चुका है।


गिरफ्तार आरोपी और बरामद दस्तावेज

क्राइम ब्रांच ने इस घोटाले में विक्की हरजानी, विवेक सिंह, सतवीर सिंह, नारायण, और अवनीश कंसल को गिरफ्तार किया है।

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इनके पास से जांच के दौरान बरामद हुए:

पुलिस को इनके पास से कई विश्वविद्यालयों की स्टैंप, हेडिंग वाले लेटरहेड, नकली हस्ताक्षर और डेटा फॉर्म भी मिले हैं।


नेटवर्क का संचालन और तरीका

स्पेशल सीपी (क्राइम) देवेश चंद्र श्रीवास्तव के अनुसार, इंस्पेक्टर मनमीत मलिक और हेड कांस्टेबल नरेंद्र कुमार की टीम को सूचना मिली थी कि नेताजी सुभाष प्लेस क्षेत्र में एक फर्जी संस्थान से नकली प्रमाण पत्र बेचे जा रहे हैं।

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रेड के दौरान सबसे पहले विक्की हरजानी को रंगे हाथों पकड़ा गया, और उसके पास से 75 फर्जी सर्टिफिकेट जब्त किए गए। पूछताछ में उसने पूरे नेटवर्क की जानकारी दी, जिसके बाद अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया।


विश्वविद्यालय कर्मचारियों की मिलीभगत

जांच में यह भी सामने आया है कि कुछ विश्वविद्यालयों के कर्मचारी भी इस फर्जीवाड़े में शामिल थे। ये कर्मचारी पैसे लेकर छात्रों का नाम और विवरण पिछली तारीखों में यूनिवर्सिटी रिकॉर्ड में दर्ज कर देते थे, ताकि प्रमाण पत्र असली लगें।

इस वजह से जब कोई सत्यापन कराता था, तो डिग्री विश्वविद्यालय के डेटाबेस में दर्ज होने के कारण असली प्रतीत होती थी। इसी तकनीक से गिरोह लंबे समय तक पकड़े बिना अपना खेल चलाता रहा।

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अब पुलिस ऐसे कर्मचारियों की पहचान कर उन्हें पूछताछ के लिए बुला रही है।


फर्जीवाड़े की कीमत और कमाई का तरीका

पुलिस के अनुसार, आरोपी डिग्री कोर्स की वैध फीस के नाम पर ही पैसे वसूलते थे ताकि ट्रांजैक्शन कानूनी प्रतीत हो।

डिग्री की प्रतिष्ठा और कोर्स के स्तर के अनुसार फीस तय की जाती थी:

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  • बीए/बीएससी जैसी डिग्रियों के लिए: ₹2 लाख से ₹5 लाख

  • एमबीए/एमबीबीएस/पीएचडी जैसी डिग्रियों के लिए: ₹10 लाख से ₹20 लाख तक

इस गिरोह ने शिक्षा को व्यवसाय बना दिया था, जहां योग्यताएं नकली और कीमतें असली थीं।

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पांच हजार से ज्यादा लोगों को जारी की गई फर्जी डिग्रियां

अब तक की जांच में यह सामने आया है कि गिरोह ने कम से कम 5,000 लोगों को फर्जी प्रमाण पत्र बेचे हैं। हालांकि, इन सभी ग्राहकों के सटीक पते और पहचान अभी तक सामने नहीं आ पाए हैं।

पुलिस संबंधित विश्वविद्यालयों से संपर्क कर रही है, ताकि जिन नामों पर ये सर्टिफिकेट जारी किए गए हैं, उनकी पहचान हो सके और आगे की कार्यवाही की जा सके।


भविष्य में और गिरफ्तारियां संभव

पुलिस का कहना है कि इस गिरोह से जुड़े कई और लोग व संस्थान भी जल्द सामने आ सकते हैं। कुछ संस्थान जो इन फर्जी डिग्रियों का उपयोग कर रहे हैं, उन पर भी शिकंजा कसा जा सकता है।

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क्या कहता है यह मामला?

यह मामला न केवल शैक्षणिक व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे कुछ लोग शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र का दुरुपयोग कर समाज में झूठी योग्यता फैला रहे हैं।

फर्जी डिग्री लेकर नौकरी करने वाले व्यक्ति न केवल संस्थानों को धोखा देते हैं, बल्कि देश की गुणवत्ता और मानवीय संसाधनों को भी कमजोर करते हैं।


निष्कर्ष

दिल्ली-एनसीआर में फर्जी डिग्रियों का यह मामला शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। इस घोटाले में शामिल आरोपियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई भी शिक्षा के नाम पर व्यापार करने का दुस्साहस न करे।

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यह समय है जब शैक्षणिक संस्थानों को अपनी सत्यापन प्रणाली को मजबूत करने की आवश्यकता है और समाज को ऐसे फर्जीवाड़ों के खिलाफ जागरूक रहने की जरूरत है।

Shruti Singh

Shruti Singh is a skilled writer and editor at a leading news platform, known for her sharp analysis and crisp reporting on government schemes, current affairs, technology, and the automobile sector. Her clear storytelling and impactful insights have earned her a loyal readership and a respected place in modern journalism.

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